देश में दिव्यांगो को मिलने वाले आरक्षण और उसके प्रभाव पर एक विस्तृत चर्चा
स्वयं एक दिव्यांग होने के नाते मैं देश मे केन्द्र सरकार के द्वारा और अपने गृह राज्य मध्यप्रदेश में दिव्यांगो को मिलने वाले आरक्षण और उसके प्रभाव पर एक विचार करना चाहता हूं।
भारत में दिव्यांगजनों (Persons with Disabilities) की जनसंख्या और उन्हें मिलने वाले आरक्षण से जुड़ी जानकारी आधिकारिक आंकड़ों और नियमों के आधार पर यह है।
1. भारत में दिव्यांगजनों की जनसंख्या (Population)
भारत में दिव्यांगजनों की जनसंख्या का सबसे प्रामाणिक स्रोत 2011 की जनगणना (Census 2011) है, क्योंकि 2021 की जनगणना के आंकड़े अभी सार्वजनिक नहीं हुए हैं।
* कुल जनसंख्या: लगभग 2.68 करोड़।
* प्रतिशत: यह भारत की कुल आबादी का 2.21% है।
* पुरुष: 1.5 करोड़ (लगभग 56%)
* महिलाएं: 1.18 करोड़ (लगभग 44%)
* ग्रामीण बनाम शहरी: लगभग 69% दिव्यांगजन ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।
> नोट: विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले 13-14 वर्षों में यह संख्या बढ़ी है, लेकिन आधिकारिक तौर पर हम अभी भी 2011 के आंकड़ों का ही संदर्भ देते हैं।
अनुमान के अनुसार वर्तमान में भारत मे दिव्यांगो कि जनसंख्या लगभग 4 करोड़ से अधिक होगी।
2. केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा आरक्षण
केंद्र सरकार ने 'दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016' (RPwD Act, 2016) लागू किया है, जिसके तहत सरकारी नौकरियों में आरक्षण को बढ़ा दिया गया है।
* सरकारी नौकरियों में आरक्षण: 4%
* (पहले यह 3% था, जिसे 2016 के एक्ट के बाद बढ़ाकर 4% कर दिया गया।)
* शिक्षा में आरक्षण: सरकारी सहायता प्राप्त उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए 5% आरक्षण का प्रावधान है।
आरक्षण का विभाजन (1% प्रत्येक श्रेणी के लिए):
* दृष्टिबाधित (Blindness and low vision)
* बधिर और सुनने में कठिनाई (Deaf and hard of hearing)
* लोकोमोटर डिसेबिलिटी (जिसमें सेरेब्रल पाल्सी, कुष्ठ रोग मुक्त, बौनापन, एसिड अटैक पीड़ित आदि शामिल हैं)
* ऑटिज्म, बौद्धिक दिव्यांगता, मानसिक बीमारी और बहु-दिव्यांगता (Multiple Disabilities)।
दिव्यांगो को मिलने वाले आरक्षण को केंद्र ने बढ़ाया जरुर है लेकिन यह अब के हिसाब से नाकाफी है और वह भी दिव्यांगो के सभी वर्गों को एक समान आरक्षण एक एक प्रतिशत जबकि प्रत्येक दिव्यांग वर्ग की स्थिति और जरुरते अलग अलग हैं।
केन्द्र सरकार को नौकरियों में 6% और उच्च शिक्षा संस्थाओं मे 7% दिव्यांग आरक्षण करना चाहिए।
3. मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) द्वारा आरक्षण
मध्य प्रदेश सरकार ने दिव्यांगजनों के लिए आरक्षण का प्रतिशत केंद्र सरकार से अधिक रखा है। राज्य के सेवा नियमों (MP Civil Services Rules) और सामान्य प्रशासन विभाग की अधिसूचनाओं के अनुसार:
* मध्य प्रदेश में सरकारी पदों (Class I, II, III और IV) पर सीधी भर्ती में 6% क्षैतिज (horizontal) आरक्षण का प्रावधान है।
6% आरक्षण का विभाजन (1.5% प्रत्येक श्रेणी के लिए):
* 1.5% - दृष्टिबाधित और कम दृष्टि (Blindness and low vision)
* 1.5% - बहरे और कम सुनने वाले (Deaf and hard of hearing)
* 1.5% - लोकोमोटर डिसेबिलिटी (Locomotor disability)
* 1.5% - बौद्धिक दिव्यांगता और मानसिक बीमारी सहित अन्य श्रेणियां।
मध्यप्रदेश मे केन्द्र सरकार से अधिक आरक्षण मिलना मध्यप्रदेश के सभी दिव्यांगो के लिए अच्छी बात है लेकिन यह देखने मे आया है कि प्रदेश सरकार के विभिन्न सरकारी विभाग इसे पुरी तरह से प्रभावी नही बनाते है न मध्यप्रदेश मे राज्य सरकार के द्वारा निकाली जाने वाली भर्तीयो मे इसकी पालना की जाती है आप राज्य सरकार के द्वारा जारी कि गई पिछली कूछ भर्तियों को देखेंगे तो पाएंगे कि इसमें बस एक दो पद दे कर खाना पुर्ति की जाती है।
भारत में यूडीआईडी (UDID) कार्ड धारकों की संख्या के नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार:
* कुल यूडीआईडी कार्ड (UDID Cards Generated): वर्तमान में यह संख्या 1.15 करोड़ (1.15 Crore) से अधिक है।
* मार्च 2024 में सरकार ने 1 करोड़ कार्ड का आंकड़ा पार किया था।
* जुलाई 2024 तक यह संख्या बढ़कर 1.09 करोड़ हो गई थी।
* दिसंबर 2024 के संसद सत्र में दी गई जानकारी के अनुसार, यह संख्या 1.15 करोड़ के करीब पहुँच गई थी।
लगातार बढ़ते हुए कार्ड धारक इस बात का प्रमाण है कि देश मे दिव्यांग जनों की जनसंख्या बढ़ी है लेकिन केन्द्र सरकार के द्वारा दिया गया आरक्षण जस का तस है।
सभी को यह याद रखना चाहीए की दिव्यांगो को लेकर समाज की धारणा और उनकी स्थिति के कारण उनका भरण पोषण एवं स्वाभीमान संकट मे रहता है और एक सरकारी संरक्षण ही उनके लिए आशा की किरण हैं क्योंकि देश मै कोई भी नियोक्ता दिव्यांग व्यक्ति को कार्य करने के लिए अपनी प्राथमिकता पर नही रखता और यदि वह उसे कोई रोजगार देता भी है तो वह सेवा भाव या चैरिटी की तरह देखता है और यह स्थिति देश की छोटी से लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों तक मे है। इस लिए यह आवश्यक है कि केंद्र सरकार और देश भर की सभी राज्य सरकारें दिव्यांगो को मिलने वाला आरक्षण बढ़ाएं और उसे प्रभावित ढंग से लागू करें।

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